प्राथमिक चिकित्सा आपात विधियां:-
प्राथमिक चिकित्सा का मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
प्राथमिक चिकित्सा (First Aid) की विधि:-
प्राथमिक चिकित्सा (First Aid) पशुओं पर भी की जा सकती हैं।
प्राथमिक चिकित्सा (First Aid) की सीमा व क्यों आवश्यक हैं?
प्राथमिक चिकित्सा (First Aid) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
प्राथमिक उपचार आकस्मिक दुर्घटना के अवसर पर वस्तुऔं से सहायता करने तक ही सीमित हैं जो उस समय प्राप्त हो सकें। प्राथमिक उपचार का यह ध्येय नहीं है कि प्राथमिक उपचारक चिकित्सक का स्थान ग्रहण करे। इस बात को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि चोट पर दुबारा पट्टी बाँधना तथा उसके बाद का दुसरा इलाज प्राथमिक उपचार की सीमा के बाहर हैं। प्राथमिक उपचार का उत्तरदायित्व किसी डॉक्टर द्वारा चिकित्सा संबंधी सहायता प्राप्त होने के साथ ही समाप्त हो जाता हैं, परन्तु उसका कुछ देर तक वहाँ रुकना आवश्यक हैं। क्योंकि डॉक्टर को सहायक के रुप में उसकी आवश्यकता पड सकती हैं। इसका उदाहरण में अपने जीवन का देता हुँ। कि मेरा भतीजा जो अच्छी सेहत रखता था जिसका रोड एक्सिडन्ट (Road Accident) हुआ था जिसको देखने के लिए पास के गांव के कम से कम 50 लोग वहा पर जमा थे परन्तू किसी ने भी उसका प्राथमिक चिकित्सा नही की थी ना ही उसके साथी लडको ने जा भतीजे के साथ थे उन्होने की व मुझे वहा तक पहुचने में दो घण्टे लगे थे काभी दुर Accident हुआ था इसलिए पहुचने मे समय लगा था जिसके सिर मे चोट लगी थी शरीर के किसी भी भाग में कोई चोट नही थी सिर से खुन निकला था परन्तू समय पर किसी ने प्राथमिक चिकित्सा नही करने की वजह से उसके सिर से काफी खुन बह चुका था जिससे उसकी मृत्यू हो गई थी यदी किसी ने सिर का खुन निकले वाले स्थान पर कोई कपडे के बांध कर रोका होता तो शायद उसकी मृत्यु नही होती जो अस्पताल में डॉक्टरो ने बतलाया की सर से ज्यादा खुन बह जाने की वजह से मृत्यू हो गई है। अतः आप सभी से निवेदन हैं की जितना हो सके आपको कोई किसी प्रकार का भी रोगी कही मिलता हैँ या आपके सामने किसी को प्राथमिक चिकित्सा (First Aid) की आवश्यकता हो तो तुरन्त उसको प्राथमिक चिकित्सा देनी चाहीए।
किन-किन स्थितियों में प्राथमिक चिकित्सा (First Aid) उपयोगी हैं।
ऊँचाई पर जाने से समस्या होना, हड्डी टूटनी, जलना. ह्रदयाघात (हार्ट अटैंक), शवसन मार्ग में किसी प्रकार का अवरोध आ जाना, पानी में डूबना, हीट स्ट्रोक, मधुमेह के रोगी का बेहोश होना, हड्डी के जोडों का विस्थापन, विष का प्रभाव, दाँत दर्द, घाव चोट रोड दुर्धटना जैसे Accident आदि में प्राथमिक चिकित्सा उपयोगी हैं।
प्राथमिक उपचार क्या है? कि आवश्यक बातेंः-
प्राथमिक उपचार में आवशयक बातेंः-
- प्राथमिक उपचारक को आवशयकतानुसार रोगनिदान करना चाहिए, तथा
- घायल को कितनी, कैसी और कहाँ तक सहायता दी जाँ, इस पर विचार करना चाहिए।
- रोगी को जितनी जल्दी हो सके अस्पताल पहुँचाना चाहिए।
- रोगी की स्थिति, इसमें रोगी की दशा और स्थिति देखनी चाहिए।
- चिन्ह, लक्षण या वृत्तांत, अर्थात घायल के शरीरगत चिन्ह, जैसे सूदन, कुरुपता, रक्तसंचय इत्याति पार्थमिक उपचारक को अपनी ज्ञानेंद्रिंयो से पहचानना तथ लक्षण, जैसे पीडा, जडता, घुमरी, प्यास इत्यादि, पर ध्यान देना चाहिए। यदि घायल व्यक्ती होश में हो तो रोग का और वृत्तांत इससं, या आस पास के लोगों से, पूछना चाहिँ। रोग के वृत्तांत के साथ लक्षणों पर विचार करने पर निदान में बडी सहायता मिलती हैं।
- कारणः यदि कारण का बोध हो जाए तो उसके फल का बहुत कुछ बोध हो सकता हैं, परन्तु स्मरण रहे कि एक कारण से दो स्थानों पर चोट, अर्थात दो फल हो सकते हैं, अथवा एक कारण से या तो स्पष्ट फर हो, या कोई दूसरा फल, जिसका संबंध उस कारण से न हो, हो सकता है। कभी कभी कारण बाद तक आपना काम करता रहता हैं, जैसे गले में फंदा इत्यादि।
घटनास्थल से संबंधित बातेंः-
- खतरे का मूल कारण, आग, बिजली का तार, विषैली गैस, केले का छिलका या बिगडा घोडा इत्यादि हो सकते हैं, जिसका ज्ञान प्राथमिक उपचारक को प्राप्त करना चाहिए।
- निदान में सहायक बातें, जैसे रक्त के धब्बे, टूटी सीढी, बोतलें तथा ऐसी वस्तुओं को जिनसे घायल की चोट या रोग से संबंध हो सुरक्षित रखना चाहिए।
- घटनास्थल पर उपलब्ध वस्तुओं का यथोचित उपयोग करना श्रेयस्कर हैं।
- दोहर, कंबल, छाते इत्यादि से बीमार की धूप या बरसात से रक्षा करनी चाहिए।
- बीमार को ले जाने के निमित्त प्राथमिक उपचारक को देखना चाहिँ कि घटनास्थान पर क्या क्या वस्तुएँ मिल सकती हैं। छाया का स्थान कितनी दूर हैं, मार्ग की दशा क्या हैं। रोगी को ले जाने के लिए प्राप्त योग्य सहायता का श्रेष्ठ उपयोग तथा रोगी की पूरी देखभाल करनी चाहिए।
- विवेकी (observant), जिससे वह दुर्घटना के चिन्ह पहचान सके;
- व्यवहारकुशल (tactful), जिससे घटना संबंघी जानकारी जल्द से जल्द करते हुए वह रोगी का विश्वास प्राप्त करें;
- युक्तिपूरण(resourceful), जिससे वह निकटतम साधनों का उपयोक कर प्रकृति का सहायक बनें;
- निपुण (dexterous), जिससे वह ऐसे उपायों को काम् मे लाए कि रोगी को उठाने इत्यादी में कष्ट ना हो;
- स्पष्टवक्ता (explicit), जिससे वह लोगों की सहायता में ठीक अनुवाई कर सकें;
- विवेचक (discriminator), जिससे गंभीर एवं घातक चोटों को पहचान कर उनका उपचार पहले करे;
- अध्यवासायी (persevering), जिससे तत्काल सफलता न मिलने पर भी निराश न हो तथा;
- सहानुभूतियुक्त (sympathetic), जिससे रोगी को ढाढस दे सके, होना चाहिए;
प्राथमिक उपचार के मूल तत्व।
- रोगी में श्वास, नाडी इत्यादि जीवन चिन्ह न मिलने पर उसे तब तक मृत न समझें जब तक डॉक्टर न कह दे।
- रोगी को तत्काल चोट के कारण से दूर करना चाहिए।
- जिस स्थान से अत्याधिक रक्तत्राव होता हो उसका पहले उपचार करें।
- श्वासमार्ग की सभी बाधाएँ दूर करके शुद्द वायु संचार की व्यवस्थआ करें।
- हर घटना के बाद रोगी का स्तब्धता दूर करने के लिए उसको गर्मी पहुँचाएँ। इसके लिए कंबल, कोट, तथा गरम पानी की बोतल का प्रयोग करे।
- घायल को जिस स्थिति में आराम मिले उसी में रखें।
- यदि हड्डी टूटी हो तो उस स्थान को अधिक न हिलाएँ तथा इसी तरह उसे ठीक करने की कोशिश करें।
- यदि किसी ने विष खाया हो तो उसके प्रतिविष द् वारा विष का नाश करने की व्यवस्था करें।
- जहाँ तक हो सके, घायल के शरीर पर कसे कपडे केवल ढीले कर दें, उतारने की कोशिश न करें।
- जब रोगी कुछ खाने याग्य हो तब उसे चाय, काफी, दूध इत्यादि उत्तेजक पदार्थ पिलाएँ। होश मे लाने के लिए स्मेलिंग साल्ट (smelling salt) सुँघाएँ।
- प्राथमिक उपचारक को डॉक्टर के काम में हस्तक्षेप नही करना चाहिए, बल्कि उसके सहायक के रुप में कार्य करना चाहिए।
स्तब्धता(Shock) का प्राथमिक उपचारः-
- यदि रक्तस्त्राव होता हो तो बंद करने का उपाय करें।
- गर्दन, छाती और कमर के कपडे ढीले करके खूूूूब हवा दें।
- रोगी को पीठ के बल लिटाकर सिर नीचा एक तरफ करें।
- रोगी को अच्छी तरह कोट या कंबल से ढकें तथा पैर में गरम पानी की बोतल से सेंक करें।
- सिर में चोट न हो तो स्मेलिंग साल्ट सुंघाएँ और होश आने पर गरम तेज चाय अधिक चीनी जालकर पिलाएँ।
- जरुरी हो तो ऑक्सीजन एप्लाई करें।
- रक्त स्राव होने पर निचली एक्सटार्मिटीज को एलिवेशन दे, परन्तु रीढ की चोट में ऐंसा न करें।
प्राथमिक चिकित्सा क्या है?
सांप काटने पर प्राथमिक चिकित्साः-
सांप काटने पर लक्षणः-
- सांप के काटने का निशान या सुन्न हो जाना।
- दर्द के जगह पर लाल पड जाना।
- काटे हुए स्थान पर गर्म लगना और सूजन आना।
- सांप के काटे हुए निशान के पास के ग्रंथियों में सूजन।
- आँखों में धुंधलापन।
- सांस लेने और बात करने में मुश्किल होना।
- लार बहार निकलना।
- बेहोश होना या कोमा में चले जाना।
सांप के काटने पर प्राथमिक चिकित्सा के चरणः-
- रोगी को आराम दें परन्तु सोने नही दे।
- शांत और आश्वासन दें।
- सांप के काटे हुए स्थान को साबुन लागाकर, ज्यादा पानी में अच्छे से धोयें।
- सांप के काटे हुए स्थान को हमेशा दिल से नीचें रखें।
- होश न आने पर ABC रुल आपनाएं (A=Airway, B=Breathing, and C=Circulation,)
- जितना जल्दी हो सके मरीज को अस्पताल पहुंचाएं।
अस्थिभंग का प्राथमिक सामान्य उपचारः-
- अस्थिभंग (Fracture) वाले स्थान को पटरियों तथा अन्य उपायों से अचल बवाए बिना रोगी को स्थानांतरित न करें।
- चोट के स्थान से यदि रक्तस्त्राव हो रहा हो तो प्रथमतः उसका उपचार करें।
- बडी चौकसी के साथ बिना बल लगाए, अंग को यथासाध्य अपने स्वभाविक स्थान पर बैठा दें।
- चपतियों (Splints), पट्टीयों (Bandages) और लटकानेवाली पट्टियों, अर्थात झोलों, के प्रयोग से भग्न अस्थिवाले भाग को यथासंभव स्वाभावित स्थान पर बनाएं रखने की चेष्टा करें।
- जब संशय हो कि हड्डी टूटी हैं या नही, तब भी उपचार उसी भाँति करें जैसा हड्डी टूटने पर होना चाहिए।
मोच(Sprains) का प्राथमिक उपचारः-
- मोच के स्थान को यथासंभव स्थिर अवस्था में रखकर सहारा दें।
- जोड को अपनी प्राकृतिक दशा में लाकर उस पर खींचकर पट्टी बाँधें और उस पानी से तर रखें, तथा यदि आराम नही मिलता है तो पट्टी फिर से खोलकर बाँधें।
रक्तस्राव का प्राथमिक उपचारः-
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First Aid |
- घायल को हमेशा ऐसे स्थान पर स्थिर रखें जिससे रक्तस्त्रान का वेग कम रहे;
- अंगों के टूटने की अवस्था को छोडकर अन्य सभी अवस्थाओं में जिस अंग से रक्तस्त्रान हो रहा हो उसे ऊँचा रखें;
- कपडे हटाकर घाव पर हवा लगने दें तथा रक्तस्त्राव के भाग को ऊँगली से दबा रखें;
- बाहरी वस्तु, जैसे शीशा, कपडे के टुकडे, बाल आदि, को घाव में से निकाल दें;
- घाव के आस पास के स्थान पर जीवाणुनाशक तथा बीच में रक्तस्त्राव विरोधी दवा लगाकर रुई, गाड (Gauze) या लिंट (Lint) रखकर बाँध देना चाहिएं।
अचेतनावस्था का प्राथमिक उपचारः-
डुबने, फाँसी, गलाघुटने तथा बिजली लगने का प्राथमिक उपचारः-
विभाजन:-
इस सत्र में आप निम्न के बारे में सीखेगे।
आपातकालीन प्रक्रियाए व कार्यस्थल पर आपका कार्य:-
आपातकालीन विकास की आवशयकता कब होती हैः-
अप्रत्याशित स्थिति क्या होती हैं:-
आपातकालीन स्थिती मे निकाशी के लिए क्या शर्ते हैं:-
मेडिकल आपातकालीन स्थिति क्या हैं?:-
प्रत्येक व्यक्ति आपात स्थिति के लिए योजना बनाता है। यही कारण है कि हम लोग अपने पास प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स (First aid box) रखते हैं। हालांकि कार्यस्थल पर व्यक्ति बहुत तनाव और शारीरिक गतिविधि में रहता है।
मेडिकल आपातस्थिति को किस प्रकार सभाला जा सकता है:-
मेडिकल आपातस्थिति में क्या करना चाहिए:-
रोग:-
बेहोशी कैसे आती है?:-
बेहोशी के कारण क्या हैं?:-
- कम रक्त दबाव, नींद की कमी, अधिक थकावट, तनाव
बेहोशी के लिए प्राथमिक चिकित्सा (first aid) कैसे करे?:-
सर्दी और जुकाम क्या हैं?:-
सर्दी कैसे लगती हैं? या क्यो होती हैं?:-
जुकाम के लक्षण क्या हैं?:-
दुर्घटना :-
दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ती का खुन बहना कैसे रोके?:-
झटका या शॉर्ट क्या होता है इसका दुशप्रभाव क्या होते हैं?:-
- झटका तब लगता है, तब संचालन तंत्र विफल हो जाता है और ऊतकों तक कम ऑक्सीजन पहुँचती है। अगर ऐसी स्थिति में शीघ्र इलाज नही किया जाता है तो महत्वपूर्ण अंग विफल हो सकते है, जिससे मृत्यु भी हो सकती हैं।
मांसपेशियों में खिंचाव:-
फैक्चर:-
- फैक्चर हड्डी की निरंतरता में एक तोड़ या दरार के समान होता है।
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