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History of computer in Hindi ~ कंप्यूटर का इतिहास परिचय विकास पर निबंध. कम्प्यूटर क्या है

 History of computer in Hindi ~ कंप्यूटर का इतिहास परिचय विकास पर निबंध

History of computer in Hindi : दोस्तों आज कंप्यूटर हमारे दैनिक जीवन का एक अहम् हिस्सा बन चूका है. जहाँ कंप्यूटर आज व्यावसायिक क्षेत्र से लेकर एजुकेशन, साइंस, टेक्नोलोजी, इन्टरनेट इत्यादि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है वहीँ गेम खेलना, song सुनना, movie देखने से लेकर और भी बहुत सारे काम आ रहा है. लेकिन क्या दोस्तों आपको computer ka itihas पता है अगर नहीं तो ये निबन्ध आपके लिए जिसमे आज आपको computer ka parichay, itihas और computer ka vikas के बारे में पूरी जानकारी देगा।

Computer-monitor

कंप्यूटर का हिंदी नाम :-

कंप्यूटर का हिंदी नाम ‘संगणक’ है क्योंकि यह बड़ी से बड़ी गणना करने में सक्षम है. कंप्यूटर शब्द की उत्पति अंग्रेजी भाषा के ‘कंप्यूट’ शब्द से हुई है जिसका अर्थ है गणना करना. अर्थात इसका सीधा सा अर्थ है कि कम्पूटर का विकास गणितीय गणनाओं को हल करने के लिए किया गया है।

कंप्यूटर का अविष्कार किसने किया :-

“चार्ल्स बेबेज को कंप्यूटर का जनक या पिता कहा जाता है. चार्ल्स बेबेज एक गणित के प्रोफेसर थे जिन्होंने पहले कंप्यूटर का निर्माण किया.”

History of computer in Hindi :कंप्यूटर का इतिहास:-

दोस्तों क्या आप जानते है कि Computer शब्द का प्रयोग कंप्यूटर के निर्माण से भी पहले से प्रयोग होता आया है. पहले के समय में किसी भी गणना करने वाले यंत्र के संचालक विशेषज्ञ व्यक्ति को “computer” कहा जाता था. कंप्यूटर का इतिहास आज से लगभग 3000 वर्ष पुराना रहा है. मानव के लिए गणना करना शुरु से ही एक कठिन काम रहा है. बिना किसी इलेक्ट्रॉनिक मशीन की सहायता से मनुष्य एक सीमित संख्या तक ही गणना कर सकता है. ज्यादा बडी गणना करने के लिए मनुष्य को मशीन पर ही निर्भर रहना पड़ता है. इसलिए इसी जरुरत को पूरा करने के लिए मनुष्य ने कंप्यूटर का निर्माण किया।

History of ABACUS in Hindi :-

इसके बाद सन 1622 में William Oughtred ने “slide rule” नाम के एक यंत्र का अविष्कार किया. Slide rule एक यांत्रिक एनालॉग कंप्यूटर है। इस यंत्र की सहायता से गुणा, भाग, रूट और त्रिकोणमिति के लिए किया जाता है जबकिslide rule की सहायता से जोड़ व घटने का कार्य नहीं किया जा सकता था. यह यंत्र भी computer के क्रमिक विकास का ही एक हिस्सा था।

अबेकस के बाद Pascaline का निर्माण हुआ। सन् 1642 में इसे फ्रांसीसी गणितज्ञ ब्लेज पास्कल ने बनाया था. यह अबेकस से भी तेज गति से गणना करता था। यह अपने प्रकार का पहला मैकेनिकल कैलकुलेटर था। इस मशीन को Adding Machine कहा जाता था. यह मशीन 10, 100, 1000 तक के अंकों को जोड़ने घटाने का काम कर सकती थी।

सन 1672 ई० में Gottfried Wilhelm Leibniz नामक वैज्ञानिक नें “Leibniz Stepped Reckoner” नाम की एक कैलकुलेटर मशीन का निर्माण किया था. जो जोड़, घटाना, गुणा और भाग जैसी सभी प्रकार की गणनाएं करना कर सकती थी. यह एक ऐसा अविष्कार था जिसने computer के विकास को एक नया आयाम दिया।

अभी तक जितने भी अविष्कार गणना करने वाली मशीन को बनाने में हुए थे वह आधुनिक कंप्यूटर से सैकड़ों साल दूर थे. विज्ञान ने प्रगति की और सन 1822 ई० में एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक “चार्ल्स बैबेज” नें एक आधुनिक सी मशीन का निर्माण किया. इस मशीन का नाम था “Difference Engine“. यह यांत्रिक कंप्यूटर का आधुनिक डिजाइन था।

उसके बाद सन 1837 ई० में Charles babbage ने एक और मशीन का निर्माण किया इसका नाम “एनालिटिकल इंजन” था. यह भाप से चलने वाला एक स्वचालित यांत्रिक कैलक्यूलेटर था. यह बिलकुल सटीक तरीके से गणनायें करने में सक्षम था. इसके ही आधार पर आज के कई कंप्यूटर काम कर रहे हैं. हालाँकि वह इस प्रोजेक्ट को पैसों की कमी के कारण पूरा नहीं कर पाए. और उनके इस प्रोजेक्ट को पूरा किया “हथर्न होलेरीथ” ने. चूँकि इस प्रोजेक्ट का डिजाईन चार्ल्स बैबेज ने तैयार किया था. इसलिए उन्हें आधुनिक कंप्यूटर का जनक कहा जाता है।

Computer Laptop से होने वाली परेशानियां एवं बचाव:-

Computer Laptop से होने वाली परेशानियां : एक जमाना था जब कंप्यूटर सिर्फ वैज्ञानिकों के लिए रिसर्च का मुद्दा था लेकिन आज Computer Laptop हर ऑफिस और हर घर की जरूरत बनता जा रहा है. चाहे ज्ञान हो या मनोरंजन या फिर इन्टरनेट से पैसा कमाना laptop computer ने इंसान को विस्तृत सोच का दायरा दिया है।

इंटरनेट ने हर वर्ग के लोगों में क्रांति पैदा कर दी है, और हम दिन पर दिन इस पर ज्यादा से ज्यादा निर्भर होते जा रहे हैं लेकिन जहां हमारी तरक्की की बुनियाद है वहीं इससे होने वाली कुछ परेशानियां भी हैं।

तो आज के इस लेख में मैं अपको computer laptop से होने वाली परेशानियाँ एवं बचाव के कुछ नुख्से और व्यायाम बताऊंगा. तो आइये सबसे पहले जानते है laptop computer से होने वाली परेशनियों के बारे में।

Computer Laptop से होने वाली परेशानियां :

laptop या computer पर ज्यादा देर तक लगातार काम करने से सबसे ज्यादा दिक्कत आँखों को होती है. क्यूंकि laptop से निकलने वाली लाइट सीधे आँखों पर प्रभाव डालती है. जिसके कारण आँखों में दर्द, आंसू निकलना, धुंधलापन और सर दर्द की समस्या आम हो जाती है।

  1. ज्यादा देर तक कंप्यूटर पर काम करने से आंखों के नीचे काले गड्ढे पड़ने लगते हैं।
  2. कभी-कभी चश्मे का नंबर बढ़ जाता है वह सिर दर्द होता है।
  3. ज्यादा झुक कर बैठने से कमर दर्द होने लगता है।
  4. गर्दन में दर्द व हाथों में झुनझुनी होने लगती है।
  5. उंगलियों में व कलाई में दर्द (कारपन टनल सिंड्रोम) होता है।
  6. बैठे हुए पैरों में सूजन आ जाती है।
  7. शारीरिक क्षमता की कमी होना, आलस्य हावी होना।
  8. एसिडिटी, गैस, अपचन, Piles इत्यादि।
  9. यह एक नशा है जो एडिक्शन बनता जा रहा है. यह परेशानियां हर वर्ग के लोगों में देखी जा रही हैं. यदि हम सही समय पर सजग व सचेत नहीं होते हैं तो यह छोटी-छोटी बीमारियां बड़ी तकलीफ का कारण बन जाती हैं।

Computer Laptop से होने वाली परेशानियां एवं बचाव

कुछ ऐसे उपाय हैं जिससे हम छोटी छोटी परेशानियों से बच सकते हैं।

  1. सबसे पहले अपना पोस्चर ठीक रखें, जहां पर काम कर रहे हैं वहां फुट रेस्ट अवश्य लगाऐ
  2. पीठ पर सही सपोर्ट होना चाहिए कमर के पीछे छोटे तकिया लगायें।
  3. कंप्यूटर पर आंखों व सर दर्द से बचने के लिए उसमें स्क्रीन लगवा लें।
  4. 1 या 2 घंटे काम करने के बाद थोड़ा घूम लें।
  5. बीच-बीच में कुछ सेकंड के लिए आंख बंद कर लें तथा ठंडे पानी से छीटें मारे।
  6. बीच में कोहनी से हाथ को सीधा करते रहे व उसे सही सपोर्ट दें।

कुछ हल्के व्यायाम करें:-

  1. गर्दन ऊपर, नीचे ,दाएं ,बाएं, घूमायें।
  2. दोनों कंधे ऊपर – नीचे करें।
  3. अपने कंधे गोल घूमायें, दोनों दिशा से।
  4. सीधे खड़े हो जाएं व बिना घुटना मोड़े आगे की तरफ झुके 6 बार।
  5. दोनों पैरों को लंबा कर ले व पंजे को ऊपर – नीचे व गोल घूमायें दोनों दिशा से।
  6. घुटना मोड़े व सीधा करें।
  7. कमर पर हाथ रखे वह पीछे की तरफ मुड़े।
  8. दोनों हाथ सामने जोड़कर खोलते हुए पीछे ले जाएं।
  9. मौका मिले तो 5 मिनट उल्टा लेट जाएं।
  10. यदि आपको डिस्क प्रीलफ्स या सरर्वाइकल स्पोडिलाईटिस हो तो एक बार फिजियोधेरेपिस्ट से मिलकर अपनी एक्सरसाइज प्लान अवश्य करवा लें बहुत फायदा होगा. कंप्यूटर क्योंकि पूरी तरह से बैठक का काम है अतः ज्यादा जंक फूड ना खाएं गरिष्ठ भोजन ना करें, वजन ना बढ़ने दें

Malware Virus Kya hai? Computer Virus detail in Hindi 2021

Computer Virus Kya hai : दोस्तों हम सभी लोग आजकल के technology युग में computer, laptop और mobile का प्रयोग तो करते ही है और virus, malware जैसे शब्द से आये दिन दो चार होते रहते है. लेकिन क्या आप जानते है virus kya hota hai और malware kya hota hai?, History of virus in hindi या फिर virus और malware kya काम करते है और दोनों में deference kya है? अगर नहीं तो आज ये लेख आपके लिए।

दोस्तों अगर आपसे पूछा जाए virus kya है तो आप यही कहेंगे virus एक तरह का प्रोग्राम या फिर एक तरह का ऐसा software है जो किसी भी computer, laptop या फिर mobile के डाटा की चोरी, उसे नष्ट करना या फिर उसको को ख़राब करने या हैक करने के काम आता है।

लेकिन अगर आपसे यह पूछा जाए की malware क्या है? तो शायद आप इसके विषय में कुछ भी ना बता सके. तो आइये जानते है virus kya है और malware kya है।

दोस्तों वायरस क्या है ये समझने के लिए हमें सबसे पहले यह जानना होगा कि Malware kya है. जब हम यह समझ जायेंगे की malware kya hota hai तो हमें यह समझने में बहुत आसानी हो जाएगी कि virus kya hota hai. आइये सबसे पहले malware के बारे में जानते है कि Malware kya hota hai?

Malware kya hota hai? मैलवेयर क्या है:-

Malware सॉफ़्टवेयर का एक संक्षिप्त रूप है यह एक ऐसा सॉफ़्टवेयर है जिसे विशेष रूप से किसी भी कंप्यूटर से डाटा चुराने या उसे क्षति पहुंचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। मैलवेयर में Trojans, spyware, computer worm और adware जैसे अन्य प्रकार के सॉफ़्टवेयर के साथ virus भी शामिल हैं। Malware कई प्रकार के होते है जो निम्न प्रकार से है :-

Types of Malware

  1. Computer worm
  2. Virus
  3. Trojan horse
  4. Spyware
  5. Adware
  6. Backdoor
  7. Ransomware

Computer worm:-

एक प्रकार का malicious software program है जो मुख्य रूप से infected system पर सक्रीय रहते हुए दूसरे सिस्टमों को भी संक्रमित करता है. इस प्रकार के computer virus एक computer से दूसरे  computer तक पहुचने के लिए network का सहारा लेते है जैसे media storage, usb device और email इत्यादि।

Virus:-

ऐसे प्रोग्राम होते हैं जो स्वयं की प्रतियां बनाकर अलग-अलग कंप्यूटर प्रोग्राम में घुसपैठ करते हैं और अपना विस्तार करते है. यह वायरस सबसे प्रसिद्ध और सबसे पुराना Malware है। एक वायरस प्रोग्राम शुरू होने के बाद खुद को multiply करता है और फिर यह कंप्यूटर के कार्यों में बाधा उत्पन्न करता है।

यह computer virus computer उपयोगकर्ता की जासूसी करने के साथ साथ डेटा को नष्ट करना ही नहीं बल्कि हार्डवेयर तक को नुकसान पहुंचा सकता है।

Trojan Horse:-

यह भी एक प्रकार का मैलवेयर है जो शुरुआत में एक उपयोगी और सुरक्षित एप्लिकेशन होने का नाटक करता है ताकि वह कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम तक पहुंच सके। यह अपने सारे कार्यों को उपयोगकर्ताओं से छिपाकर करता है. ट्रोजन हॉर्स कंप्यूटर के डेटा की निगरानी जैसे कई हानिकारक कार्यों को करता है।

इनमें से कुछ कार्य जैसे महत्वपूर्ण सूचनाओं या फ़ाइलों की प्रतिलिपि बनाने और उन्हें भेजने पर सौदा करते हैं. इस प्रकार के computer virus को एक बैकडोर फंक्शन के माध्यम से हैकर्स संचालित और नियंत्रित भी कर सकते है।

Spyware:-

इस प्रकार के malware का प्रयोग उपभोक्ता के डेटा को उजागर करने के लिए किया जाता है और इसे निर्माता या तीसरे पक्ष को भेजा जाता है, उपभोक्ता को पता ही नहीं चलता है कि उसके द्वारा की जा रही गतिविधियों को रिकॉर्ड किया जा रहा है। स्पाइवेयर द्वारा प्राप्त जानकारी का ज्यादातर प्रयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए या फिर विश्लेषण के लिए किया जाता है।

Adware:-

दोस्तों आपने कभी ध्यान दिया होगा जब आप इन्टरनेट ब्राउज़र या कोई application चलाते है तो आपके mobile या लैपटॉप की screen पर एक popup advertisement शो करता है जो हमें यह बताता है कि आपके mobile या computer में virus है. दरअसल यह Adware का ही काम होता है।

Adware एक तरीके का ऐसा malware है जिसे आमतौर पर मुफ्त सॉफ्टवेयर में शामिल कर दिया जाता है ताकि जब आप उस application को चालू करे तो adware आपके ब्राउज़र सेटिंग में बदलाव कर अपने मन मुताबिक विज्ञापन पॉप-अप द्वारा आपको दिखा सके।

Backdoor:-

एक प्रकार का सबसे अधिक खतरनाक मैलवेयर में से एक है जो सिस्टम तक पहुंचने के लिए सामान्य प्रमाणीकरण प्रक्रियाओं को बाईपास करते हुए system में अपनी पैठ बना लेता है. जिसके फलस्वरूप, हैकर remote access द्वारा आपके कंप्यूटर या लैपटॉप तक अपनी पहुच बना लेता है, और कंप्यूटर उपयोगकर्ता को इसका पता तक नहीं चलता है।

हैकर किसी भी उपयोगकर्ता की जासूसी करने, उसकी फाइलों को प्रबंधित करने, किसी भी प्रकार के खतरनाक सॉफ़्टवेयर को इनस्टॉल करने या फिर पूरे पीसी सिस्टम को नियंत्रित करने लिए Backdoor malware का उपयोग कर सकता है।

Ransomware:-

एक बहुत ही advance malware है और सबसे खतरनाक में से एक. इसे Scareware के नाम से भी जाना जाता है. इस प्रकार का मैलवेयर आपके कंप्यूटर को लॉक कर सकता है और आपके सारे डाटा को डिलीट करने की धमकी देता है और इसके बदले में आपसे फिरौती वसूली करता है।

इस प्रकार के malware का उपयोग वित्तीय धोखाधड़ी करने और कंप्यूटर उपयोगकर्ताओं से पैसा निकालने के लिए किया जाता है।

Malware kya hai? ये जानने के बाद आपको समझ ही आ गया होगा कि virus kya hota hai फिर भी एक बार थोड़ा और डिटेल में जान लेते है virus kya hai?

Computer Virus kya hai? Virus detail in Hindi

“VIRUS एक प्रकार का MALWAREही है. जो किसी भी COMPUTER के डाटा को ख़राब कर सकता है या फिर उसमे सेव किसी भी प्रकार की जानकारी को चुरा सकता है.”

वायरस क्या है?

Virus Kya hai : Computer Virus सिर्फ एक प्रकार का Malware है. यह एक ऐसा प्रोग्राम है जो किसी भी computer के डाटा को ख़राब कर सकता है या फिर उसमे सेव किसी भी प्रकार की जानकारी को चुरा सकता है. यह इतना शातिर प्रोग्राम है जो स्वयं की प्रतिलिप बनाकर एक प्रोग्राम से लेकर दूसरे प्रोग्राम तक को प्रभावित कर सकता है. यह जानबूझकर बनाया गया प्रोग्राम है।

कंप्यूटर वायरस बनाने का उद्देश्य कमजोर सिस्टम को संक्रमित करना, system पर नियंत्रण प्राप्त करना और उपयोगकर्ता के संवेदनशील डेटा की चोरी करना है। हैकर दुर्भावनापूर्ण इरादे से कंप्यूटर वायरस डिज़ाइन करते हैं और धोखा देकर ऑनलाइन उपयोगकर्ताओं को अपना शिकार बनाते हैं। virus भी कई प्रकार के होते है जो निम्न प्रकार से है :

Types of Computer Virus in Hindi : कंप्यूटर वायरस के प्रकार

कंप्यूटर वायरस कई प्रकार के होते है और प्रत्येक वायरस का अपना काम करने का तरीका होता है. यहाँ पर प्रचलित कुछ कंप्यूटर वायरस के नाम के सम्बन्ध में जानकारी दी गयी है.

कुछ कंप्यूटर वायरस के नाम:-

Boot Sector Virus :-

इस प्रकार का वायरस “Master Boot Record” को संक्रमित करता है. इस प्रकार के virus को डिटेक्ट करना बहुत कठिन है. यदि आपका computer या laptop एक बार इस virus का शिकार हो जाए तो system को format किये बिना इस virus remove नहीं kya जा सकता है.

Direct action virus :-

किसी भी वायरस युक्त फ़ाइल को execute करते समय इस प्रकार का वायरस सक्रिय हो जाता है। इस प्रकार के virus computer की मेमोरी में छुपकर रहते है।

Resident virus :-

इस virus को antivirus से भी डिटेक्ट करना कठिन काम है. क्यूंकि इस प्रकार का virus खुद को system की RAM मेमोरी में छपा लेता है और ऑपरेटिंग सिस्टम के लोड होने पर यह virus एक्टिवेट हो जाता है।

Web scripting virus :

इस प्रकार का वायरस वेब ब्राउज़र और वेबसाइट के कोड का उपयोग करता है। यदि आप ऐसे किसी वेब पेज पर पहुचते है जो ऐसे किसी virus से संक्रमित, तो वायरस आपके कंप्यूटर को infected कर सकता है।

Polymorphic Virus :-

किसी भी फाइल के execute होने पर अपने कोड को बदलता रहता है. यह ऐसा एंटीवायरस प्रोग्राम से बचने के लिए करता है। इसलिए आम तौर पर प्रयोग किये जाने वाले antivirus के लिए इसे ढूँढना बहुत ही कठिन हो जाता है।

File infector virus:-

किसी भी फाइल के execute होने पर उसमे malicious कोड डाल देता है. आम तौर पर इस प्रकार का virus ऐसी .exe फाइल्स के साथ आता है जो पहले से ही इस virus से infected होती है. आम तौर पर जब आप कोई cracked file download करते है तो इस प्रकार का virus उस फाइल के साथ आपके लैपटॉप या computer में आ जाता है।

Multipartite virus :-

इस प्रकार का वायरस कई तरीकों से फैलता है। यह प्रोग्राम और सिस्टम दोनों को संक्रमित कर सकता है.

Macro virus :-

इस प्रकार का वायरस अक्सर email attachment के माध्यम से फैलते है. जब आप कभी virus से संक्रमित email attachment को download करते है तो ये virus आपके system में घुस जाता है।

Overwrite Virus:-

कुछ वायरस विशेष रूप से फ़ाइल या एप्लिकेशन के डेटा को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं. यह उनमे से एक है. यह virus system को infected करने के साथ-साथ प्रोग्राम फाइल के कोड को भी बदल सकता है. इस प्रकार के virus को हटाने का एक ही तरीका है और वो है उस फाइल को डिलीट कर देना जो इस वायरस से संक्रमित है।

Browser hijacker :-

इस प्रकार का वायरस कुछ web browser के functions को “hijack“करता है और आपको आटोमेटिक रूप से एक अनपेक्षित वेबसाइट पर भेज सकता है. इस प्रकार के virus निर्माता द्वारा खुद के लाभ हेतु आपको ऐसी वेबसाइट पर भेजते है जिससे उन्हें लाभ हो सके।

Computer Virus kaise failta hai :-

किसी भी computer में virus आने के कई कारण हो सकते है. जैसे वायरस से संक्रमित किसी भी डिवाइस के माध्यम से फाइल का आदान प्रदान करने से, वायरस से इन्फेक्टेड किसी भी वेबसाइट से कोई भी file, game, music, android app या movie download करने से लेकर वायरस infected ईमेल attachment download करने इत्यादि कारणों से virus फैलता है।

Malware Virus se kaise bache : वायरस से बचाव:-

दोस्तों एक Homeopathic में एक कहावत है “precaution is better than cure” यानि की इस कहावत का मतलब है कि सुरक्षा ही इलाज से बेहतर है. यहाँ यह कहने का तात्पर्य यह है की यदि आप virus से अपने system को बचाए रखना चाहते है तो आपको नीचे बताये गयी बातों का अनुसरण करना होगा।

  1. किसी भी cracked फाइल को download करने से बचे।
  2. किसी भी unknown व्यक्ति द्वारा भेजे गए email attachment को download करने से बचे. यह email खासकर आपको एक प्रलोभन के तहत भेजे जाते है जैसे कि “I Love you” या फिर “आपने कोई लाटरी जीती है” कुछ इसी तरह से जो आपको किसी भी तरह का लालच देते है।
  3. किसी भी ऐसी वेबसाइट से कोई भी फाइल download ना करे जो unauthorized हो।
  4. अपने system में हमेशा एक अच्छी quality का antivirus प्रयोग करे।
  5. USB, Pen drive को स्कैन करने के बाद ही अपने system से attach करे. यदि आप antivirus का प्रयोग नहीं कर रहे है तो ऐसी स्थिति में removable डिवाइस के प्रयोग से बचने की कोशिश करे।

Malware Virus बनाने का उद्देश्य kya hai :-

जैसा कि आप जानते है malware virus kya काम करते है इससे ही आपको बहुत कुछ अंदाजा हो गया होगा की virus बनाने का उद्देश्य क्या होता है. यह malware virus ब्लैकमेलर, ठग, बदमाश जैसे अपराधिक मानसिक वाले और कभी कभी जासूसी करने के उद्देश्य इत्यादि के लोगों द्वारा बनाये जाते है. मैलवेयर विकसित करने के पीछे का उद्देश्य साइबर चोरी, ठगी करने, जासूसी करने या फिर किसी अन्य प्रकार अपराध को अंजाम देने के लिए किया गया है।

History of virus in hindi : कंप्यूटर वायरस का इतिहास:-

अगर हम computer virus history in hindi की बात करे तो हमें कई ऐसे नाम जानने को मिलते है जिन्होंने computer virus को प्रोग्राम करने का काम किया. इसके पूर्व तक लोगों को इस बात का कतई भी भी भरोसा नहीं था कि कोई ऐसा भी प्रोग्राम हो सकता है जो किसी भी कंप्यूटर को संक्रमित कर सके।

  • दुनिया का सबसे पहला वायरस क्रीपर था जो अरपानेट (ARPANET), पर खोजा गया, जो सन 1970 की  शुरुआत में इंटरनेट से पहले आया था। इस वायरस का निर्माण Bob Thomas ने किया था और यह TENEX ऑपरेटिंग सिस्टम के माध्यम से फैला. यह कंप्यूटर को नियंत्रित और संक्रमित करने के लिए किसी भी मॉडम का उपयोग कर सकता था। और यह virus से संक्रमित computer पर यह सन्देश प्रदर्शित करता था कि “I am the creeper Catch Me If You Can“।
  • इसके बाद सन 1982 में सार्वजनिक रूप से रिलीज होने वाला ज्ञात वायरस एल्क क्लोनर (Elk Cloner) था। इस virus को प्रोग्राम करने वाले प्रोग्रामर का नाम रिच स्केन्टा (Rich Skrenta) था. जिन्होंने ने इसे फ्लॉपी डिस्क के माध्यम से फैलाने और Apple Dos 3.3 कंप्यूटरों को टारगेट करने के लिए प्रोग्राम किया था।
  • सन 1983 में पहली बार सार्वजनिक रूप से computer virus शब्द का उपयोग शुरू हुआ। दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के छात्र फ्रेड कोहेन ने इस शब्द को virus नाम दिया. उन्होंने ने अपने शोध पत्र में बताया कि कैसे एक प्रोग्राम को लिखा जाए जो किसी भी computer की कार्य प्रणाली को संक्रमित कर सके।
  • आधुनिक वायरस के इतिहास में सन 1986 में “Brain boot sector” नाम का virus चर्चा में आया. इस वायरस को दो पाकिस्तानी प्रोग्रामर बसित फारूक अलवी और उनके भाई अमजद फारूक अलवी द्वारा विकसित किया गया। इस virus ने समाचार पत्रों में भी सुर्खियाँ बटोरी जिससे लोगों को विश्वास हुआ कि कोई ऐसा भी प्रोग्राम हो सकता है जो किसी भी computer को संक्रमित कर सकता है।

History of Computer in Hindi:-

Faqs:-

वायरस क्या है?

VIRUS एक प्रकार का MALWARE है. जो किसी भी COMPUTER के डाटा को ख़राब कर सकता है या फिर उसमे सेव किसी भी प्रकार की जानकारी को चुरा सकता है.”

दुनिया का सबसे पहला वायरस कौन सा था?

दुनिया का सबसे पहला वायरस क्रीपर था।

दुनिया का सबसे पहला वायरस किसने बनाया?

बसित फारूक अलवी और उनके भाई अमजद फारूक अलवी ने 1986 में पहले आधुनिक कंप्यूटर वायरस को बनाया था.

Computer Virus Hindi का निष्कर्ष:-

दोस्तों आशा करता हूँ Malware kya hai और virus kya hai और History of virus in hindi की ये जानकारी आपको जरूर अच्छी लगी होगी. इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे ताकि उनको भी इस जानकारी के बारे में पता चल सके और दोस्तों प्लीज पोस्ट को लाइक व शेयर करना ना भूले.

  • कंप्यूटर की पीढियां:- Computer Generations :-

  1. History of computer in Hindi :इसके बाद कंप्यूटर के विकास का युग आया और पीढ़ियों ने जन्म लिया और ये पीढियां थी Generations. कंप्यूटर की अब तक 5 Generations आ चुकी है. आज हम पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर का प्रयोग का रहे है।

  • पहली पीढ़ी के कंप्यूटर Vaccum Tubes पर आधारित थे. इस प्रकार के कंप्यूटर 1940 से लेकर 1956 तक प्रयोग होते रहे. इस प्रकार का कंप्यूटर एक कंट्रोल रूम जितना बड़ा था. इस प्रकार के कंप्यूटर में डाटा सेव नहीं किया जा सकता था और यह प्रोजेक्ट खर्चीला भी बहुत था।
  • इसके बाद सन 1956 में दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर का अविष्कार हुआ इस पीढ़ी में Vaccum Tubes की जगह ट्रॉजिस्‍टर का प्रयोग हुआ जिसकी वजह से इनके आकार में भी परिवर्तन आया. अब यह कंप्यूटर पहली पीढ़ी के कंप्यूटर से छोटा था. इस पीढ़ी के कंप्यूटर का प्रयोग 1964 तक हुआ।
  • रिसर्च चलता रहा और सन 1964 में कंप्यूटर की तीसरी पीढ़ी आई. इस तीसरी पीढ़ी ने कम्‍प्‍यूटरों को IC (आई.सी.) दिया. इस प्रयोग में कंप्यूटर का स्वरुप ही बदल चूका था. यह प्रथम और द्वितीय पीढि़यों की अपेक्षा बिलकुल भिन्न था. इसका आकार और वजन बहुत ही कम था. इसे एक जगह से दूसरी जगह लाने ले जाने में आसानी होने लगी. इनका आकार आज के कंप्यूटर के अपेक्षाकृत  बड़ा था लेकिन आकार से कुछ मिलता जुलता था।
  • इसके बाद 1971 में कंप्यूटर की चौथी पीढ़ी आई  इस पीढ़ी में IC को और भी अधिक विकसित किया गया. जिससे एक नया अविष्कार हुआ “Large Integrated Circuit” का. इस तकनीक ने पूरी सेन्‍ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट को एक छोटी सी चिप में कर दिया. इसे माइक्रो प्रोसेसर कहते है. इस प्रकार के कंप्यूटर का प्रचलन 1985 तक रहा।
  • फिर आई आज की पांचवी पीढ़ी 5th Generation. इस पीढ़ी की शुरुआत हुई 1985 से. आज हम जिस लैपटॉप या कंप्यूटर का प्रयोग कर रहे है वो पांचवी पीढ़ी से है. ये बहुत ही ज्यादा विकसित है. ये इतने विकसित है की वैज्ञानिक इन्हें कृत्रिम बुद्धिमत्ता देने के लिए रिसर्च कर रहे है. कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उदाहरण आपको रजनीकांत की फिल्म रोबोट में मिलता है।

कंप्यूटर छठी पीढ़ी कब आती है और इनका स्वरुप क्या होगा ये तो भविष्य के पेट में है. दोस्तों ये था History of computer in Hindi. अगर दोस्तों आपको “कंप्यूटर का इतिहास परिचय विकास पर निबंध” की जानकारी अच्छी लगी तो लाइक जरुर करे और अपने दोस्तों को भी शेयर करे।


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फेसबुक अकाउंट कैसे बनता है? सबसे पहले google में www.facebook.com type करे और search करें। जब आप facebook होम में पहुच जाते है तब आपको create account बटन दिखाई देता है उस पर क्लिक करे जैसा नीचे दिखाया गया है। Create account पर क्लिक करने के बाद आपसे आपका name और sure name पूछता है उसे डालें और Next पर क्लिक करें। नया Facebook Account आसानी से कैसे बनाये। Facebook दुनिया की सबसे popular website में से एक है। और आज के समय मे ऐसे बहुत कम लोग है जो facebook का इस्तेमाल नही करते। हर किसी का आज facebook पर अपना खुद का Facebook Account होता है। 15 साल के बच्चों से लेकर 65 साल के लोगो तक आपको facebook पर आसानी से देखने को मिल जाते है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि आज facebook न केवल entertainment के लिए जरूरी है बल्कि अगर आप अपने business को फैलाना चाहते है तो भी facebook account आपके लिए बहुत जरूरी होता है। अगर आप facebook पर business purpose के लिए facebook account बनाना चाहते है और अपनी servies और product को बेचना चाहते है तो facebook आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। क्योंकि बहुत सारे लोगो face...

How to recover delete gmail account हाल ही में हटाया गया Google खाता वापस कैसे पाये?

अपना जीमेल खाता Google में सुरक्षित किये बिना हटा दिया है तो अपना खाता वापस कैसे प्राप्त कर सकते हैं। हाल ही में हटाया गया Google खाता वापस पाना अगर आपने  अपना Google खाता मिटा दिया है , तो शायद आप उसे वापस पा सकते हैं. अगर खाता मिटाए जाने के बाद कुछ समय बीत चुका है, तो शायद आपको अपने खाते का डेटा वापस न मिल पाए. अगर आपको अपना खाता वापस मिल जाता है, तो आप Gmail, Google Play और Google की दूसरी सेवाओं में पहले की तरह साइन इन कर सकेंगे. Delete your Google Account आ प  जब चा हें  अपना Google खाता मिटा सकते हैं. हालांकि, अगर आप उसे वापस पाना चाहेंगे, तो शायद ऐसा कर पाना मुमकिन न हो. पहला चरण: जानें कि अपना खाता मिटाने पर क्या होता है आप उस खाते में मौजूद ईमेल, फ़ाइलें, कैलेंडर, और फ़ोटो जैसा सारा डेटा और सामग्री खो देंगे. आप Gmail, डिस्क, कैलेंडर या Play जैसी उन Google सेवाओं का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे, जिनमें आप उस खाते के ज़रिए साइन इन करते हैं. आप ऐसी सदस्यताओं और सामग्री का ऐक्सेस खो देंगे जो आपने उस खाते से YouTube या Google Play पर खरीदी हैं. उदाहरण के लिए ऐप्लिकेशन, फ़ि...

जीमेल आईडी | Gmail ID| ईमेल आईडी | Email ID| कैसे बनाएं?

ईमेल आईडी का क्या मतलब होता है? Email इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों द्वारा किसी नेटवर्क (इंटरनेट) के जरिए संदेश भेजने-प्राप्त करने का एक साधन है. Email का मतलब Electronic Mail होता है. कार्यालयों, अदालतों, स्कूलों, कॉलेजों आदि जगहों पर Email को सूचना भेजने तथा प्राप्त करने का आधिकारीक तरीका बना लिया गया है. यह कागज पर लिखी गई चिट्ठी के समान ही होता है। जीमेल आईडी बनाने के लिए निम्नलिखित कदमों का पालन करें:- 1. एप्लिकेशन खोलें: अपने Android डिवाइस में "जीमेल" एप्लिकेशन खोलें। 2. लॉग इन / साइन अप: अगर आपके पास पहले से Google खाता है, तो आप लॉग इन कर सकते हैं। अगर नहीं, तो "साइन अप" विकल्प का चयन करें। 3. आवश्यक जानकारी प्रदान करें: आपसे नाम, जन्मतिथि, फ़ोन नंबर आदि जानकारी पूछी जाएगी। 4. उपयोगकर्ता नाम चुनें: एक उपयोगकर्ता नाम चुनें जिसका आप उपयोग करना चाहते हैं। 5. पासवर्ड चुनें: एक सुरक्षित पासवर्ड चुनें जिसमें अल्फाबेट, नंबर और विशेष वर्ण हों। 6. ईमेल आईडी स्वीकार करें: यदि आपके द्वारा चुने गए उपयोगकर्ता नाम के साथ उपयोगकर्ता आईडी उपलब्ध है, तो आपको एक संदेश दिखाया जाएगा। ...

YouTube releases PIP mode for IOS

YouTube ने IOS के लिए जारी किया PIP मोड:- 2021 जून में गूगल ने आईओएस (IOS) यूजर्स को यह सुविधा दी थी। शुरुआत अमेरिका से हुई थी लेकिन अब सभी के लिए इसे जारी किया जा रहा है। YouTube releases PIP mode for IOS YouTube ने दुनियाभर के आईओएस  (IOS)  यूजर्स के लिए पिक्चर इन पिक्चर PIP (पीआईपी) मोड जारी कर दिया है, हालांकि अभी भी नया अपडेट सिर्फ यूट्यूब प्रीमियम यूजर्स के लिए ही जारी किया गया है। इस अपडेट के बाद आईओएस यूजर्स यूट्यूब के वीडियोज मिनी प्लेयर यानी पीआईपी मोड में देख सकेंगे। बता दें कि इसी साल जून में गूगल ने आईओएस यूजर्स को यह सुविधा दी थी। शुरुआत अमेरिका से हुई थी लेकिन अब सभी के  लिए इसे जारी किया जा रहा है। पीआईपी (PIP) मोड के फायदे क्या है?   पीआईपी (PIP) मोड का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि किसी एप को एक मिनी प्लेयर की तरह इस्तेमाल करते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि आप यूट्यूब पर वीडियो देख रहे हैं और किसी अन्य एप में कोई काम करना है तो आप यूट्यूब को मिनिमाइज कर सकते हैं। ऐसे में एक मिनी प्लेयर की तरह यूट्यूब प्ले भी होता रहेगा और आप कोई अन्य इस्तेमाल भी कर सकें...

प्राथमिक चिकित्सा की आवश्यकता क्यों हैं? रोगी की प्राथमिक चिकित्सा कैसे करे?

प्राथमिक चिकित्सा आपात विधियां:- मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से:- मेडिकल आपातकालीन स्थिति, बेहोशी, सर्दी और जुकाम, दुर्घटना, झटका या शॉर्ट, फैक्चर, आग, आदि के बारे में जाने जब किसी गम्भीर चोट या बीमारी के कारण किसी व्यक्ति की शीघ्र मृत्यु का खतरा मंडरा रहा हो तो इसे चिकित्सा आपात  कहते हैं। ऐसी आपात स्थिति में किसी दुसरे व्यक्ति की सहायता की आवश्यकता होती हैं, जो उस स्थिति से निपटने की योग्यता रखता हो। इसके लिए आपात चिकित्सा सेवा को सम्पर्क करके बुलाना चाहिए। भारत में इसके लिए 112, डायस करना होता हैं। तब तक जितना हो सके रोगी की प्राथमिक चिकित्सा करनी चाही जिससे मरिज की जान का खतरा नही हो व अस्पताल तक पहुँच सके व सही से इलाज हो सके। किसी की जान बजाने के लिए प्राथमिक चिकित्सा एक अहम कदम हो सकता है। प्राथमिक चिकित्सा को अग्रेजी मे कहा जाता हैं। एक्सिडैन्ट या चोट लगने के बाद तुरन्त देने से घायल व्यक्ती की जान बचाई जा सकती हैं। प्राथमिक चिकित्सा मे सामान्य चोट के लिए पट्टी करना से लेकर सीपीआर देने तक की प्रक्रिया तक शामिल हो सकती है। हर व्यक्ती को देना आना चाहिए। ताकि हर जरुरत पडने ...